महाविद्यालय परिचय
स्थापना वर्ष-
उ.प्र. की राजधानी लखनऊ 89 किलोमीटर दूर मिश्रिख नैमिषारण्य के नाम से देश - विदेश में विख्यात, जहाॅ अट्ठासी हजार ऋषि मुनियों ने तपस्या की। वेद व्यास ने चार वेद, छः शास्त्र, 18 पुराण लिखे। गीता, श्रीमद्भागवत्, महाभारत एवं सत्यनारायण व्रत की उद्गम स्थली माना जाता है वहीं से मात्र 11 कि.मी. दूर दधीचि की तपस्थली मिश्रिख जो जनपद सीतापुर में विद्यमान है। जिस जनपद ने नरोत्तम दास को जन्म दिया। ऐसे ऐतिहासिक, पौराणिक गाथा से सम्पन्न स्थल पर श्री श्रीराम वैश्य ने वि. सन् 2000 में यशोदा कन्या महाविद्यालय की स्थापना की। जब यहाँ दूर- दूर तक उच्च शिक्षा की सम्भावनाएॅ नहीं थीं तब कर्मणा ही जीवन का ध्येय मानते हुए वैश्य जी द्वारा स्थापना का उद्देश्य सुदूर ग्रामीण अंचल की छात्राओं को उच्च शिक्षा प्रदान करना था इसलिए उन्होंने वाहन द्वारा छात्राओं की समस्या का भी समाधान किया।
बी.ए. स्तर पर - हिन्दी साहित्य, संस्कृत, अंग्रेजी साहित्य, अर्थशास्त्र, समाजशास्त्र, शिक्षाशास्त्र एवं गृह विज्ञान में शिक्षा प्रदान की गई।
संभावित स्नातक स्तर पर संकाय एवं विषय - कला, संगीत, राजनीतिशास्त्र।
एम.ए. - 2011 में महाविद्यालय द्वारा एम.ए. स्तर पर समाजशास्त्र एवं गृह विज्ञान में परास्नातक
की पढ़ाई शुरू की।
संभावित परास्नातक स्तर पर विषय - हिन्दी, संस्कृत, अंग्रेजी, शिक्षाशास्त्र।